
मैं आखिरी बार कब रोया था , मुझे नही पता ! लेकिन मैं आज इतना जानता हूँ , कि अब मेरी आत्मा मर चुकी है ! वो क्या समय था , जब जरा सी बातों पर आंसू की गंगा बह निकलती थी , और एक आज का दिन है जब आँखों के नीचे केवल आंसू के सूखे निशान रह गए है ! जो इस इन्तजार में है , कि कब कोई गम आए और फिर से आंसू की धारा इसी जगह के ऊपर से निकले , ताकि फिर से ये निशान हरे भरे हो जाए और फिर ये इस बात का सबूत होगा कि मैं शायद अभी तक जिन्दा हूँ !
पर क्या मुझे जिन्दा होने का सबूत केवल मेरे आंसू से देना होगा ? क्या मेरा हरकत करता हुआ शरीर और मेरी श्वसन क्रिया का कोई मोल नही ? , क्या मेरे वादों का कोई मोल नही ?, क्यों तुम्हे मेरे आंसू अच्छे और सच्चे लगते है ? क्या मेरे आंसू देखकर तुमहरा दिल नही पसीजता ? क्या तुम्हे रोना नही आता ? और अगर मेरे आंसू देखकर तुम्हारे आंसू नही निकलते , तो शायद तुम भी मर चुके हो , मेरी तरह !
4 comments:
acha hai
शानदार है। लेकिन इस पोस्ट को रिमूव करके दोबारा पोस्टर कविता के फार्मेट में। बहुत अच्छी पंक्तियां हैं। कविता के रूप में ज्यादा प्रभावशाली लगेंगी। ऎसा मेरा मानना है। वैसे पोस्ट आपकी है। फैसला आपका। एक अच्छी पोस्ट के लिए बधाई।
थोड़ी सी टाइपिंग मिस्टेक हो गई। मैं कहना चाह रहा हूं कि इसे दोबारा पोस्ट करें। कविता के फार्मेट में। साधुवाद सहित।
bilkul main isse karne ki koshish karta houn
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