Sunday, November 30, 2008

हद की भी हद पार हो गई !

आज यह लेख मैं बहुत ही रोते हुए झुंझलाते हुए और गुस्से में लिख रहा हूँ क्यों ? क्यूँकी मेरे सामने एक मां अपने बच्चे के पार्थिव शरीर के सामने उसकी आँखों में देखकर बातें कर रही है की उठ जा मेरे लाल ! जी हाँ ये कोई नही हमारे एन.एस.जी के कमांडो संदीप जो की ३१ साल के थे ताज होटल मुंबई में आतंकवादी मुठभेड़ में शहीद हो गए!

भारतीय होने के नाते अपने देश की हालत को देखकर समझ नही आ रहा है की ये वो ही देश है जहाँ दूध की नदिया बहा करती थी और आज खून की नदिया बहती है ! मुंबई में जो कुछ भी हुआ बहुत शर्मनाक है ! क्या हम अपने घर के अन्दर ऐसे ही मरते रहेंगे ?, क्या भारत , आतंकियों के लिए खाला का घर बन गया है कि जब चाहे कोई आए और हमें ठोक बजाकर चला जाये ?, क्या हमारे देश का लोकतंत्र बेकार है ? , क्या हमारे खुफिया तंत्र बेकार है ? या फिर हमारी अब जिन्दगी इतनी सस्ती हो गई है कि अब ज्यादा फर्क नही पड़ता क्योकि १२० करोड़ लोगो में से अगर २०० या ३०० मर जाये तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा यार !

एक पत्रकार उन पुलिस वालों से बात कर रहा था जिन्होंने पुलिस की गाड़ी चुराने वाले आतंकियों को मार गिराया उनका कहना था की आतंकी के पास Ak47 थी जबकि हमने अपनी सर्विस रिवोल्वर से मार गिराया ! बेशक ये उन जवानों के लिए गर्व की बात है लेकिन हमारे लिए और सरकार के लिए शर्म से डूब मरने वाली बात है की Ak47 का सामना रिवोल्वर से करना पड़ रहा है ! मैंने तो उन सिपाहीयो के पास ऐसी बंदूको को देखा जो लम्बी लम्बी पुराने ज़माने की ३० या ४० साल पहले देखी जाती थी क्या हमारे जवानों की अब कोई कीमत रह भी गई है ?

कोई जवान या कोई पुलिस वाला शहीद नही होना चाहता लेकिन जब सरकार का आदेश आता है तो जाना पड़ता है नौकरी निभाने ! उन्हें भी याद आते है अपने बच्चे अपने माँ बाप अपनी बीवी अपना परिवार , पर क्या करे अगर नही जायेंगे तो सब बुझदिल कहेंगे ! आखिर कब तक हम ऐसे अनमोल जवान खोते रहेंगे !

आपको पता है की NSG कमांडो में कोई दक्षिण से था तो कोई उत्तर से कोई मराठी था तो कोई बिहारी, पर सबने मिलकर मुंबई कोई आजाद कराया और मिसाल दी की अगर एक रहेंगे तब की देश को बचाया जा सकता है न की तोड़कर ! अब कहाँ गया वो राज ठाकरे और कहाँ गए उसके गुण्डे , उसे किसी ने बताया नही की कुछ उत्तरभारतीय और बिहारी NSG कमांडो का रूप धरकर ताज होटल में घुस गए है उसकी मुंबई को बचा रहे है जल्दी से उन्हें मारने के लिए अपने गुण्डे भेजो कहाँ गया वो बाल ठाकरे का शेर उध्दव जो कुछ समय पहले दक्षिण भारतीयों को निशाना बनाते थे उसको बताओ की दक्षिण भारतीय जवान भी जवाबी कार्यवाही करते हुए शहीद हुआ ! और तो और मनसे के गुण्डे मुंबई में आये आतंकियों से क्यों नही लड़ने गए उन्हें तो बहुत शौक है न उन लोगो को मारने का...... जो लोग उनकी मुंबई में आते है ! जरा दे देती सरकार इनके साथ में गन और भेज देती जरा ताज में फिर इन्हे पता चलता !

क्यों हम लोग हर बार कीडे मकोडों की तरह कुछ लोगो के मरने के बाद थोड़ा दुखी होकर फिर से एक जैसे हो जाते है ? , वो इसीलिए क्योंकि यह अभी तक हमारे साथ नही हुआ है !
क्यों हर घटना के बाद सरकार जांच कमीशन बैठा देती है ?, शिवराज पाटिल के इस्तीफा देने से एक बात बिल्कुल साफ हो गई की सरकार हमें सुरक्षा देने समर्थ नही है इसीलिए इस चीज से मुहँ मोड़ ले वो ज्यादा अच्छा है !

अब बारी है जनता के सोचने की , कि अब जात-पात धर्म से ऊपर उठना पड़ेगा ! पूरे भारत में एक अलख जगाना पड़ेगा ! अब हम किसी सरकार के नीचे नही , बल्कि सरकार को अपने नीचे लाना पड़ेगा !
अब हमें अपने बॉर्डर्स सिक्योर करने पड़ेगे ! देश में शरणार्थी के आने पर रोक लगनी होगी ! पुलिस में भारी बदलाव करने की जरुरत है उन्हें अपडेट करने की भी जरुरत है तथा भारी मात्रा में पुलिस फोर्स की कमी से हमारा देश जूझ रहा है सयुक्त राष्ट्र के मानक के अनुसार २३१ लोगो पर एक पुलिस वाला होना जरुरी है परन्तु हमारे देश में यह आंकडा 731 पर एक पुलिस वाला है इसीलिए बहुत बड़ी तादाद में हमे फोर्स भरना पड़ेगा सिर्फ़ भरना ही नही सही ट्रेनिंग की जरुरत भी है !

खुफिया तंत्र को और ज्यादा सुद्रण बनाना पड़ेगा, एक संघीय शाखा का निर्माण अति आवश्यक है तथा हमारी जांच एजेंसिया को सरकार के प्रति जवाबदेह भी न होना पड़े और उनको स्वतंत्र काम करने की छूट दी जाए (कई देशो में ऐसी छूट दे रखी है !) और कड़े से कड़े कानून बनाये जाए और जाँच पूरी होने पर हाल की साल सजा भी दी जाए ! राज्यों के आपसी समन्वय और उनके बीच में सूचनाओ का आदान- प्रदान भी बहुत जरुरी है !

साथ ही साथ हमारे देश के नागरिक भी सजग रहे हमको भी एक पुलिस वाले जैसा काम करना पड़ेगा बस वर्दी ही तो नही होगी ! ये देश हमारा है तो हमें ही इसकी रखवाली करना पड़ेगी न यार और कौन करेंगा ?
अपने
घर में आए चोर के साथ क्या करते है ... हम लोग ?

Monday, November 17, 2008

हाँ यहीं में अच्छे से कर सकता हूँ !

लक्ष्य फ़िल्म में हृतिक रोशन का चरित्र लक्ष्यविहीन लड़के का बताया गया जिसे दुनिया जहाँ की कोई फिक्र नही है ! वो बस खाता पीता है सोता है और दोस्तों के साथ मौजमस्ती और हँसी मजाक में दिन काट रहा होता है और कोई उससे उसके करियर के बारे में पूछता है तो सभी को दुश्मन समझता है ! अपने दोस्तों से वो ख़ुद पूंछता है कि ये माँ बाप हमेशा एक ही बात क्यो पूंछते है कि क्या करने वाले हो क्या करोंगे ये इन लोगो के पास कोई टॉपिक नही है क्या ?

दरअसल यह समस्या आजकल ज्यादातर युवाओं की है !वो इसी उपह्पोह में फंसे रहते है कि ऐसा कौन सा काम है जो मैं सबसे अच्छे से कर सकता हूँ ! कम से कम स्नातक के शुरूआती सालों में तो युवा सोचते ही है कि मैं आगे जाकर क्या करूंगा ! पर ये अलग है कुछ लोग अपना लक्ष्य बनाकर चलते है और उन्हें क्या करना है उन्हें पता होता है ! लेकिन जिनको नही पता होता है वो हमेशा तनाव में जीते है !

इसके कारण हमारे आसपास के प्राणी लोग है जो बार-बार भविष्य की योजना को लेकर बात करते है और तो और सुझाव भी चिपका देते है ! माँ-बाप के कान भी भरते है कि अरे इसे ये कोर्स कराओ बहुत चल रहा है या फिर अरे इसमे कोई स्कोप नही है ग़लत फंस गए ! इन लोगो को ख़ुद कुछ पता नही होता दूसरों से सुनकर चले आते है !

लक्ष्य का निर्धारण कैसे होता है ये कैसा पता चलेगा ! शायद उसका पता तब चलेगा जब ख़ुद आपके दिल से आवाज आयेगी , हाँ यही वो काम है जो मैं अच्छे से कर सकता हूँ ! और इसके कई उदाहरण हमने देखे भी है जैसे कि कई लोगो को हमने बड़ी-बड़ी नौकरिया छोड़कर दूसरा काम करते देखा है ! कोई लेखक बन गया तो कोई पत्रकार या फिर किसी आई.पी.एस अधिकारी से कहते सुना हो कि मैं पत्रकार बनना चाहता था या किसी अभिनेत्री को यह कहते सुना है कि वो डॉक्टर बनना चाहती थी ! भेजा फ्राय फेम विनय पाठक आज सिनेमा में बहुत शोहरत कमा रहे है ! अमेरिका से एम्.बी.ए कर रहे विनय एकदिन नाटक देखने चले गए जहाँ उन्हें उसका इतना चस्का लगा कि एम् बी ए छोड़कर थियेटर के साथ जुड़ गए ! अब बताइए चाहते तो वो एम् बी ए करके लाखो रुपए कमा सकते थे पर उनके दिल ने कहा कि हाँ विनय यहीं काम है जो तू अच्छे से कर सकता है !

और महज लाखो करोड़ो पैसे मिलना ही इस बात का प्रमाण नही कि आप बहुत सुखी है और अपने माँ-बाप का सपना पूरा कर दिया , पर आपकी निजी खुशी भी बहुत जरुरी है आपको अच्छा लग रहा है या नही ! चाहे फिर ऑफिस में साइन करने का काम ही क्यो न हो या फिर लक्ष्य फ़िल्म में नायिका के पिता द्वारा ह्रितिक को कहना कि फिर तुम चाहे घाँस काटने वाले बनो... पर अच्छा तब कोई मतलब है !

Friday, November 14, 2008

ईरान-अमेरिका गतिरोध , भारत की भूमिका !

ईरान, भारत और अमेरिका विश्व की राजनीति में बहुत मायने रखते है साथ ही साथ ऐतिहासिक द्रष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण है ! हाल के समय में तेहरान और वॉशिंगटन में एक दूसरे को प्रति बहुत गर्मी देखी गई ! अमेरिका की वहीं पुरानी चिंता परमाणु प्रसार की है जिसका आरोप लगाकर उसने इराक में लडाई लड़ी , पर उसके हाथ कुछ नही आया बल्कि उसने इराकियो को दिया जलता हुआ इराक !

ईरानी राष्ट्रपति अहमदीनेजाद के परमाणु परीक्षण करने से अमेरिका की आंखे लाल है ! दरअसल ईरान का मानना है कि वो अपनी सुरक्षा के साधन जुटा ले ताकि आगे जाकर कोई देश उसे धमकी न दे ! जबकि ईरान का ख़ुद किसी से युध्द करने का इरादा नही है !

इसके परिणाम में अमेरिका भयभीत है , उसका मानना है कि कहीं ईरान परमाणु संपन्न राष्ट्र बन गया तो इससे एशिया में शक्ति संतुलन बिगड़ सकता है ! परन्तु बात कुछ और है वह किसी भी देश को परमाणु तकनीक ईजाद करते हुए नही देखना चाहता है ! विश्व पटल पर अपनी बादशाहत को खोना नही चाहता है और न वो अपने से ज्यादा किसी को शक्तिशाली देखना चाहता !

इसके इतर बात करे तो ईरान और भारत राजनीतिक और ऐतिहासिक द्रष्टि से परम मित्र रहे है , हालाँकि अभी हाल के कुछ महीनो में थोडी बहुत गलतफहमिया हुई , जैसे परमाणु प्रसार पर , अमेरिका के कहने पर भारत का ईरान के खिलाफ सयुक्त राष्ट्र में वोट करना रहा हो या फिर भारत अमेरिका परमाणु संधि ! इन सबसे थोड़ा मन खट्टा तो हुआ है पर बात अभी इतनी भी नही बिगड़ी है ! इसी लिहाज से विदेश मंत्री प्रणव मुखर्जी ईरान गए और कई मुद्दों पर आम सहमती बनी जहाँ तक कि उन्होंने कई मामलो पर सफाई दी होगीं !

ईरान प्राकृतिक गैस के लिहाज से भारत के लिए बहुत मायने रखता है इसीलिए भारत को चाहिए कि भारत पाक ईरान गैस पाइप लाइन पर जल्दी सहमती बने ! वरना गैस कि समस्या हमारे लिए विकराल बन सकती है ! सुनाने में आया है कि ईरान गैस पाइपलाइन मामले में जो कि सन 1995 से चल रहा है भारत के दुलमुल रवैये को देखकर पाइप का मुहँ चीन की तरफ़ मोड़ सकता है ! इसीलिए भारत अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति का सहारे लेकर ये मौका लपक ले वरना कुछ हाथ नही आएगा और मुर्गे करे मेहनत...और अंडा खाए फ़कीर वाली कहावत सार्थक होगी साथ ही एक परम मित्र की दोस्ती भी जा सकती है

Tuesday, November 11, 2008

नेताजी कहिन !

कहते है की गिरगिट रंग बदलता है परन्तु इसका इस्तेमाल वो अपनी सुरक्षा के लिए करता है ! वो जिस चीज पर बैठता है उस चीज का रंग ले लेता है ! हमारे राजनेता भी गिरगिट से कम नही है ! इनका असली रंग चुनाव के आने पर ही दिखता है ! इसका उपयोग वो कुर्सी पाने के लिए करते है और जिस पार्टी में जाते है उस पार्टी की विचारधारा में बोलने लगते है !

विधानसभा चुनाव होने वाले है ! और पार्टियों में टिकट को लेकर कई बवाल सामने आ रहे है ! दल बदले जा रहे है , विचार बदले जा रहे है , मुद्दे बदले जा रहे है ! जो नेता बहुत सालों तक एक पार्टी में था ! टिकट न मिलने से दूसरी पार्टी में चला गया , और टिकट पाया ! अभी तक जो नेता विरोधी खेमे पर गर्म भाप छोड़ रहे थे आज वहीं गर्मी टिकट पाकर शांत हो गई ! और अब वो गर्म भाप , छोडी गई पार्टी पर निकलती है !

जब नेता जी से पूछा जाता है कि आपने पार्टी क्यो छोड़ दी? और ये पकड़ी ? तो सभी का एक ही जवाब होता है कि यह पार्टी अच्छा काम कर रही है और इसकी विचारधारा पर मुझे विश्वास है, तो नेता जी आपको इतने सालों बाद इसकी विचारधारा पर विश्वास हुआ या टिकट का हथौडा आपके सर पर पड़ा तब आपके होश ठिकाने आयें !
अच्छा भाइयो ये सब बात नेता लोगो को भी पता होती है कि जनता सब जानती है और समझ रही है , हमे देख रही है पर क्या करे हमाम में सब नंगे होते है !

आज से कुछ साल पहले अरुण शौरी ने एक बात कहीं थी कि नेताओं को जनता के बीच में से ही चुनकर आए तो ज्यादा अच्छा होगा और इससे भ्रष्टाचार में कमी आएगी ! क्योकि अभी जनता के पास कोई विकल्प नही है वो केवल उन्ही को वोट देते है जिनको पार्टिया खड़ी करती है ! दूसरी बात यह जो मैंने ख़ुद सोची कि किसी आम आदमी(कर्मचारी) को पुलिस केस में पड़ने या बनने पर सरकारी महकमे से निष्काषित किया जा सकता है! या छात्रों का पुलिस केस होने पर नौकरी मिलने में परेशानी हो सकती है , उसी प्रकार से नेताओ को भी इस शर्त में बांधा जाए तथा अपराधिक तत्व वाले उम्मीदवार को चुनाव के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाए ! लेकिन बस इतने कहने से ही सबकी त्योरिया चढ़ जाएँगी वो इसीलिए सबसे ज्यादा चुनाव अपराधिक लोग लड़ते है !

मार्गरेट अलवा कहती है कि कांग्रेस के टिकट बिकते है ! सभी लोग अपने भाई भतीजो को टिकट दिलवाते है ! वो बस इसी बात को लेकर खफा थी कि उनके बेटे को टिकट क्यो नही दिया गया ! तभी उन्होंने पोल खोल दी ! परन्तु वो यह बात भूल रही गई कि जिस तरह वंशवाद कर आरोप लगा रही है असल में वो भी तो यहीं कर रही है !

पहले के महान नेता महात्मा गाँधी , नेहरू , शास्त्री जी और भी बहुत सारे इन सब लोगो कर इतिहास हम किताबों में पढ़ चुके है ! फिर क्या आज के नेताओ ने ऐसा कोई काम किया जो इनका इतिहास हमारी अगली नस्ल पढ़े !
वोः कहते है न.....यहीं हमारे देश कर दुर्भाग्य है !

Monday, November 10, 2008

भारत की तरक्की के मायने !

विन्दर्भ में किसान ने आत्महत्या की ! यह ख़बर आए दिन या यूँ कहे कि कई सालों से अखबारों के पन्नो पर स्याही का खर्चा बढ़ा रही है ! आखिरकार विन्दर्भ में किसानों को ही सबसे ज्यादा आत्महत्या क्यो करनी पड़ती है ! इसका कारण ...... अरे नही भाई अब इसका कारण भी उत्तर भारतीय नही है समझे , शायद वहाँ पर कम बारिश हो या कर्ज के बोझ तले इतना दब जाता है कि उसे म्रत्यु का वरन करने में भी संकोच नही होता !

खैर इसके इतर हम आजकल देख रहे होंगे कि भारत ने चंद्रयान सफलता पूर्वक भेजा जिसमे भारत को विज्ञानं कि द्रष्टि से बहुत फायदा होगा ! इस अन्तरिक्ष यान को बनने में सरकार का 450 करोड़ रुपए से ज्यादा का पैसा लगा है !
और भारत इसे सफलतापूर्वक भेजकर मन ही मन इतरा रहा है !

इसके इतर एक और चीज जो कि शायद सब चिल्ला रहे है कि इतिहास बन गया रे , जी हाँ आप सही समझे मैं भारत-अमेरिका परमाणु संधि की बात कर रहा हूँ ! जिससे हमारी सरकार ने अपने लिए इज्जत का सवाल बनाने लिया था की अब चाहे कुछ भी हो जाए ये डील होकर रहेंगी ! और सभी पार्टियों को अपना दुश्मन ! ये करार तक़रीबन 2 लाख करोड़ रुपए का हुआ जो की एक बहुत बड़ी रकम है ! ये करार भी ऐसे देश के लिए हुआ जिसमे परमाणु उर्जा का अभी फिलहाल कोई भविष्य नही है !

आर्थिकमंदी से सारे देश प्रभावित है फिर चाहे वो दूसरी दुनिया से हो या तीसरी दुनिया से ! ऐसे में हमारे देश में उसका असर सबसे पहले एयरलाइन्स पर दिखने लगा है ऐसे में सरकार से उसके लिए 4500 करोड़ रुपए का बेलआउट पैकेज उसको घाटे से उबारने के लिए मांग की जा रही है !

सरकार कहती है हमारे यहाँ अनाज की कमी नही है और इस बार हम पहले से ज्यादा दूसरे देशो को अनाज निर्यात कर पाएंगे !
क्या ऐसे देश में अनाज निर्यात जरुरी है ? जबकि देश में हजारों लाखों लोग भूखे सोते है !
क्या ऐसे देश में चंद्रयान सफल होने के कोई मायने है ? जबकि देश के किसान आत्महत्या कर रहे है !
हमारे देश में सन् 2010 में कॉमनवेल्थ खेल होने वाले है और उसमे पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है ! परन्तु उत्तरप्रदेश के दलित गाँव में चूहों को मारकर उन्हें पकाकर खाते है क्यो ? क्योकि उन लोगो के पास अनाज के लिए पैसे नही है !

राजठाकरे भले ही यूपी बिहार के लोगो को मरकर भगाते हो पर क्या कभी उन्होंने विन्दर्भ में जाकर वहां के किसानो के लिए कुछ काम किया ?
आम जनता को कुछ लोगो(उन्हें क्या मतलब की मुकेश अम्बानी ने कितना पैसा बढ़ा लिया है ) की तरक्की से कोई मतलब नही है उन्हें मतलब है तो बस अपनी सुबह शाम की रोटी से ! मिशन चंद्रयान तभी सही मामलो में सार्थक होगा !

Monday, November 3, 2008

आज कल मेरी उससे नही बनती ..... .

किसी शहर में एकदम अकाल पड़ा हुआ था सब जगह त्राहि -त्राहि मची हुई थी , सारी फसल सुख गई थी और पानी तो बिल्कुल नही , सभी लोग दहशत में आ गए ! की अब क्या होगा तभी बुजुर्गो ने सुझाया की हमे पहाड़ी पर रहने वाले दरवेश के पास जाना चाहिए... वो बहुत पवित्र आत्मा है !

सभी लोग इकठ्ठे होकर उनके पास गए और उनसे मिन्नतें की... कि आप खुदा से दरख्वास्त करे कि वो पानी बरसाये ! उस समय दरवेश अपने कपड़े धोकर सुखने के लिए डाल ही रहे थे ! दरवेश ने कहा कि मुझे माफ़ करो भाई मैं तुम्हरी कोई भी मदद नही कर सकता क्योकि मेरी आजकल खुदा से बनती नही ! इतना कहना ही था कि बाहर जोरदार बारिश होने लगी ! लोग बाहर देखते हुए आश्चर्य करने लगे इससे पहले वो दरवेश का शुक्रिया अदा कर पाते दरवेश तुनक कर बोले देखा मैंने कहा था न कि मेरी आजकल उससे बनती नही अब वो ये भी नही चाहता कि मैं अपने कपड़े सुखा सकूँ !

और भी
तू इतनी जल्दी डर गया

एक बहुत बड़े सूफी ने खुदा में जो ऐसा मन रमाया... कि फिर कई दिनों तक न टूटा ..फिर एक दिन जब वो उठे तो सीधे अपनी घर कि तरफ़ लौटे ! तो देखते क्या है कि घर खाने के लाले पड़े हुए है एक अनाज का दाना नही है घर में अपने लोगो कि इस लाचारी की हालत को देखकर वो बहुत दुखी हुए और सीधे मस्जिद की ओर रुख किया !

फिर वहां जाकर उन्होंने हाथ में कागज और कलम को लेकर दोनों हाथ असमान में उठाये और जोर से कहा कि तू इतना पत्थर दिल है तू मेरे लोगो को खाना नही दे सकता ...क्या तू दिवालिया हो गया है ह्ह्ह ...और अगर ऐसा है तो ये ले कागज और कलम और दस्तखत कर इस पर और हो जा अपना जिम्मेदारियों से आजाद जा !

वहां बहुत भीड़ जमा हो गई और उसी भीड़ में से एक ने कहा लो भाई तूम ये अनाज का बोरा और जाकर अपने घर के लोगो को खाना खिलाओ ! ये देखकर सूफी फिर ऊपर की ओर देखकर बोला देखा कितनी जल्दी डर गया तू एक आवाज में ही अनाज का बोरा भेज दिया !

सौजन्य :रसरंग ( दैनिक भास्कर)

Saturday, November 1, 2008

मेरी भाषा हिन्दी है तेरी क्या है .....

आजकल पूरे देश में भाषाई राजनीती का चलन बहुत बढ गया है ! हर व्यक्ति अपनी भाषा दूसरे पर थोपने लगा है ! यह लेख इसीलिए लिखा जा रहा है , क्योकी हाल ही के दिनों में पूरे भारतवर्ष में भाषाई मामले टूल पकड़ रहे है ! एक तरफ़ महाराष्ट्र में जहाँ मराठी में कामकाज बोलचाल की भाषा के स्वर उग्र हुए , वही दूसरी ओर कर्नाटक सरकार ने साइन बोर्ड कन्नड़ में लगना अनिवार्य कर दिया है !

बात अगर यहाँ तक रहती है तो शायद ठीक हो क्योकि हम सभी जानते है कि भारत में अनेक भाषायें बोली , लिखी व पढ़ी जाती है ! अब जरा गौर फरमाए कि सभी राज्य व इलाके अपनी अपनी भाषा को लेकर भावुक हो गए और उसे ही उन्होंने अपने कामकाज की भाषा बनाने लगे तो दूसरे गैरभाषी व्यक्ति के लिए कितनी विपदा आन पड़ेगी !

फिर पंजाबी पंजाब में , असमिया असम में , उड़िया उड़ीसा में...... और भी बहुत सारी भाषायें जो की सबसे जयादा हमारे देश में बोली जाती है तो ऐसे तो देश में सबसे बड़ी राष्ट्रीय आपदा घोषित हो जायेगी !
और भी .......
हमारे देश में अंग्रेजी भाषा बोलने का बहुत चलन बड़ गया है ! दरअसल हमारे समाज में अंग्रेजी में बोलने वाला बहुत बड़ा ज्ञानी माना जाता है और हिन्दी में बात करने वाले को बड़ी हिकारत भरी नजरो से देखा जाता है और उसकी बातों का कोई मूल्य नही होता है फिर चाहे वोः कितना भी बड़ा ज्ञानी को न हो !
और अब तो अंग्रेजी भाषा हमारे खून में इतनी उतर चुकी है कि हम ज़ाने अनजाने में हिन्दी के साथ अंग्रेजी बोल ही देते है जैसे वो भी हिन्दी के शब्द हो......haaaaaa कितना पाप करते पाप करते है हम हिन्दी के साथ !
सच् बात तो यह है कि भाषा हमेशा सहुलियत लिए होंती ही न कि राजानीती चमकाने के लिये !
सँविधान में भाषा के लिए कानून बहुत ही लचीला बनाया है इसीलिये इसमे कोई संघर्ष नही होना चाहिए , इसके बावजूद भाषा के मसले को राजनितिक मकसद से इस्तेमाल किया जा रहा है !
इस भीड़ मे आजकल कौन सुनता है !

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