Saturday, July 18, 2009

ये यूपी की माया है !


मुझे नही पता कि कितने लोग मायावती के फैसले से सहमत होंगे कि उन्होंने रीता बहुगुणा को जेल भिजवा दिया , लेकिन मेरा यह कहना है कि क्या मायावती भी इतनी पाक साफ है कि कभी किसी भी तरह कि अभद्र भाषा का प्रयोग नही करती ! अगर सिर्फ़ मायावती की बात करें तो इस समय वह सत्ता के धुंए में मदहोश है ! और उन्हें इस समय कोई अपने आस-पास नही दिखाई देता , और उनके पास जी-हुजूरी वाले लोगों की फौज है , उनके पास ऐसा कोई आदमी नही है जो उनसे ये कहे कि बहनजी यह ग़लत है इसे ना करें , क्योंकि बहनजी को ना फ़रमानी मंजूर नही ! यूपी में लगने वाली उनकी मूर्तियों के पीछे क्या रहस्य है यह किसी को नहीं पता , आखिर वह मूर्तियाँ बनाकर क्या साबित करना चाहती है , क्या उन्हें यह लगता है कि वह आज जिस कुर्सी पर बैठी है उस पर वह हमेशा बनी रहेंगी , या फिर उन्हें पता नही कि अगर कल को कोई नया मुख्यमंत्री आया , तो उन हजारों करोडो की लागत से बनी मूर्तियों को ढहा देंगा ! तो फिर ये इतनी फालतू कसरत क्यों ? और इतने पैसे की बर्बादी क्यों ?
क्या उन्हें पता है दलितों की पार्टी होने के बावजूद सबसे ज्यादा दलितों की हालत यूपी में ही ख़राब है ! क्यों वो इस बात को नहीं समझती कि अगर वह जितना पैसे फालतू के निर्माण कार्य में लगा रही है उतना अगर गरीबों के लिए लगाया होता तो स्थिति थोडी सुधर सकती है ! क्योंकि मेरे ख्याल से और ये बात सभी जानते होंगे कि दलित नेताओ की मूर्तियों से किसी भी दलित का भला होने से रहा , या फिर अपने जन्मदिन पर करोडो रुपए का खर्चा करके किसी दलित का का चूल्हा नही जल सकता , जरा सोचिये एक तरफ़ मायावती अपना बड़ा से केक काट रही है , दावतें दी जा रही है और दूसरी तरफ़ बच्चे रात को बिना खाने खाए सो जाते है ! कितना अजीब है कि दलित मुख्यमंत्री तक इनकी आवाज नही पहुँच पाती ! ऊपर से बहन जी प्रधानमंत्री बनने का सपना पाले हुए है ! अभी भोपाल में "माखन लाल विश्वविद्यालय" में पत्रकारिता के लिए प्रवेश परीक्षा देने गया था , वहां पर झाँसी से आए एक मित्र ने बताया की सपा के गुंडों से जनता बुरी तरह से त्रस्त आ चुकी थी , इसीलिए जनता ने मायावती को चुना लेकिन स्थिति जस की तस रही वहीं काम अब बीएसपी वाले कर रहे है ! उसके बाद भी मायावती बड़े बड़े दावे करती रहती है ! एनडीटीवी के पत्रकार कमाल खान का कहना है की दरअसल मायावती बड़े बड़े बयान इसीलिए देती है कि वो अपने आप को बड़े बड़े नेताओ से भी बड़ा बताना चाहती है , मायावती हर बात को अपने ऊपर व्यक्तिगत ले लेती है और बार-बार प्रेस कांफ्रेंस करके बड़े बयान देती है ! खैर बात इतनी सी है की इस तरह की सामंती शाही का लोकतंत्र में कोई स्थान नही है ! मायावती को समझना चाहिए कि लोकसभा के चुनाव में उनका जो हश्र यूपी में हुआ उससे साफ पता चलता है कि जनता उनके काम से खुश नही है !

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इस भीड़ मे आजकल कौन सुनता है !

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