
उज्जैन स्थित महाकालेश्वर के मन्दिर या फिर ओम्करेश्ह्वर के मन्दिर मैं हुए भगदड़ मौते उनके परिजन की स्मृतियों मैं आज भी जिन्दा है उन्होंने अपने नजदीकी लोगो को खोया है !
इन तमाम बातों में दो बातें हमेशा एक जैसी रहती है एक तो यह की श्रद्धालुओ की मौते केवल अव्यवस्थाओं के कारण हुई ! दूसरी यह की इन मौते के लिए किसी को जिम्मेदार करार देकर सजा नही दी गई , उनकी रपट भी प्राप्त हुई पर मौतों का सिलसिला नही थमा एक स्थान पर होने वाले हादसों से सबक दूसरे स्थानों पर पर नही लिए जाते
जोधपुर के मन्दिर के हादसे के बाद लगता नही की इससे दोबारा कोई सबक लिया जायेगा ! राजस्थान सरकार के द्वारा घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए जा चुके है ! जांच के आदेश तो ३ अगस्त नैना देवी में मची भगदड़ के बाद भी दिए गए थे जो चले गए उन्हें भी , और जिन परिवारों के सहारे छूट गए उन्हें भी इन जांच रपटो से फर्क पड़ने वाला नही ! गौर किया जाए की करोडो रूपये का चढावा प्रतिवर्ष भगवान् के नाम पर उन सभी धार्मिक स्थलों को प्राप्त होता है जंहा श्रद्धालु बड़ी संख्या मैं रेलों और बसों में धक्के खाकर आस्था के साथ मन्नते लेकर पहुँचते रहते है ! किसी भी तरह का भय इन भक्तो को अपनी आस्था से विचलित नही करता ! इन धार्मिक स्थलों पर चंदे और दान में प्राप्त होने वाली कोरोडो की राशिः में उन गरीबो का योगदान भी होता है जिनके पास दो वक्त के खाने के लिए भी पैसे नही जुट पाते है ओ के दुर्घट्नाये बाद बैठी जाने वाली जाँच के संदर्भ या निष्कर्ष में इस सत्य के दर्शन कभी नही होते है की भक्तो की ओर से प्राप्त लाखो करोडो के धन के बावजूद भगवान के दर्शन तक पहुचने करग बहुत सकरा है पुर जोधपुर घटना की जांच की रपट देने के लिए आयोग ने ३ माह का समय लिया है इस बीच कलेक्टर ,एसपी सहित ढेर सारे अधिकारियो के कर्तव्य पालन में लापरवाही के आरोप में अपने वर्तमान पदों से हटा दिया गया है हरेक दुर्घटना के बाद राजनीतिक सत्तायो द्वारा या तो मृतको के परिजनों को पैसे बांटे जाते है फिर अफसरों को ताश की गद्दी की तरह ऐसे ही फेटा जाता है सकारात्मक कुश भी निकलता नही !
जम्मू के रघुनाथ मन्दिर में या गाँधी नगर के स्वामीनारायण मन्दिर या किसी अन्य धार्मिक स्थल पर आतंकवादी हमलो में होने वाली दस बीस मौते भी राष्ट्रीय चिंता का विषय बन जाती है पर नैना देवी या चामुंडा माता के यहाँ अव्यवस्था , लापरवाही तथा भ्रष्टाचार के कारण सेक्दो लोगो का पैरो तले कुचल कर मर जाना किसी राष्ट्रीय शर्म या क की मांग नही करता ! नैना देवी और जोधपुर में ही हुए दो घटनाओ में तक़रीबन चार सौ लोग मारे गए और सैकडो घायल हुए पर हमारी सवेंदना शुन्य मोटी चमड़ी हरकत में आने को तैयार नही मौत का सज्ञान लेने में भी समूची व्यवस्था ने अपने पैमाने बना रखे है !
इस तथ्यों की और ध्यान दिलाया जाना भी जरूरी है की इस तरह की घटनाये और मौते केवल उत्तर भारत में ही क्यो होती है ? न तो धर्म के प्रति आस्था में दक्षिण भारत लोग उत्तर की तुलना में पीछे है और न ही कुछ ऐसा की धार्मिक स्थलों की संख्या उत्तर से कम है तिरुपति हो अयप्पा का धार्मिक स्थल या की रामेश्वरम - इन जैसे और भी स्थानों में भक्तो का टाटा लगा ही रहता है शायद नारियल भी उत्तर भारत के मुकाबले में इस जगह ज्यादा फोडे जाते है पर वहा कभी सुनाने में नही है की फलानी जगह पर ऐसा कुछ हो गया है !
सरकारों के लिए इससे ज्यादा सुकून की बात क्या हो सकती है की इस तरह की घटनाये में बच जाने वाले तोह ईश्वर का आभार मानते है मृतको के परिजन सब कुछ भगवान की इच्छा मान कर अपने दिल को समझा लेते है ! दुनिया के और किसी मुल्क में ऐसा नही होता है व्यवस्था की लापरवाही के कारन होने वाली मौतों पर चर्चा करना इसीलिए भी जरुरी है की इस तरह की घटनायों पर रोक नही लग पा रही है भक्तो की भीड़ भी लगातार बढ़ रही है इस भीड़ को काबू में करना भी जरुरी है !
मृतको के परिजनों को दिलासा देने पहुंचे राहुल गाँधी ने पुलिस प्रशासन और पीडितो के से केवल एक ही सवाल किया की हादसा कैसे हुआ ? पर उसका जवाब किसी पर नही था कारण साफ है की राहुल का अगला सवालफिर यही होता की 'तो फिर ऐसा क्यो नही किया गया ? सरे सवालों के जवाब सबको पता है राहुल को भी ! मुहँ कोई नही खोलना चाहता !
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