Friday, October 17, 2008

हर घर में आनंदी

आजकल टीवी पर एक कार्यक्रम बहुत ज्यादा पापुलर हो रहा है जिसका नाम है "बालिका वधु " ! जी हाँ शायद आजकल हम सब इससेही देख रहे है और हो भी क्यों इसमे समाज की बुराइयों के ऊपर कटाक्ष जो किया है ! जिसे आमतोर पर हमारा पढ़ा लिखा समाज पसंद नही करता !
पर सोचने वाली बात ये है की हम इन सबसे सीखने की कोशिश भी करते है या सिर्फ़ कार्यक्रम के मुख्य पात्र के सवांद और उसकी शरारतो को देखने के लिए कार्यक्रम देखते है !
इस कार्यक्रम की कथानक आनंदी जिसके इर्द गिर्द पुरी कहानी घूमती है उसकी आयु महज १२ साल है परन्तु शानदार स्क्रीनप्ले और स्टोरी दम पर उसकी एक्टिंग देखने लायक है और बिल्कुल मेच्योर अदाकारी करती है ! एक टीवी साक्षात्कार में जब उससे पूछा गया की आपको शादी का मतलब पता है तो उसने रुक कर जवाब दिया और कहा की इसमे अच्छे -२ कपड़े और गहने मिलते है और मिठाई खाने को मिलती है ! अब आप ही बताइए की उस शहर की लड़की अविका गौर (असली नाम) को शादी का मतलब नही पता तो गाँव की लड़की को पता होगा इससे शायद ही कोई इत्तेफाक रखे !
बचपन में शादी कराकर माँ बाप ये दलील देते है कि बचपन में ही लड़की के दिल में अपने पति का नाम आ जाए जिससे आगे चलकर वो कोई दुसरे के बारे में न सोचे ! दूसरी बात यह कि जल्दी शादी कराकर माँ बाप अपने सर से बोझ उतारना चाहते है !
जैसा कि हम सभी जानते है कि हमारा भारतवर्ष एक सामाजिक देश है और हम सब समाज के अन्दर रहते है सारे काम उसी के अन्दर रहकर करना पड़ते है ! नही तो अगर आप ने समाज के नियम के बाहर काम किया तो समाज आपको ताने देगा और गलिया बुराईया देगा आपका जीना दुश्वार कर देगा !
यह हमारे देश का दुर्भाग्य ही है कि समाज आपकी खुशी में शामिल होता है परन्तु मुसीबत के छडों में भाग जाता है! जैसे कि आप किसी विधवा कि शादी करना चाहते है तो समाज आपको बहुत गालिया देगा , पर क्या समाज उस विधवा का साथ जिन्दगी भर देगा ?.... क्या उसे और उसके बच्चो को जिन्दगी भर खिलायेगा ?.... नही ना ....... !
इसीलिए संस्कृति और रूड़ीयो में बहुत फर्क होता है ! ये रुडीया हमे तोड़नी है !
यहाँ तक सुनने में आता है कि आज भी राजस्थान में लड़कियों को जन्म पर ही मार दिया जाता है उन्हें दूध से भरे कुण्ड में डाल दिया जाता है | उन्हें खटिया (चारपाई) के नीचे दबा दिया जाता है !


अरे बेटियो के दुश्मनों पहले ये बताओ कि अगर बेटिया नही होगी तो तुम किधर से आयोगे !

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इस भीड़ मे आजकल कौन सुनता है !

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