Thursday, October 9, 2008

सिंगुर के अंगूर


अभी हाल ही में टाटा को सिंगुर से नेनो कार प्लांट को बंद करना पड़ा ! इसके पीछे बड़ी राजनीती थी ! जिसके आगे रतन टाटा जैसा उद्योग पति भी बेबस दिखा ! सभी जानते है , बंगाल के मुख्यमंत्री जो की ख़ुद एक कम्युनिस्ट है ने टाटा को बंगाल से न जाने के लिए सम ,दाम ,दंड , भेद कर दिया पर ममता बेनर्जी जी की इस सिंगुर आन्दोलन की नेता है ने बहुत सही समय पर अपनी राजनीतिक रोटिया सेकी !
जब टाटा ने सिंगुर में कदमरखा तो उनके मुहँ में पानी आ गया की ये बहुत अच्छा मौका है और अब इसके सहारे मै गरीब किसानो की सच्ची हितेषी बनूँगी , फिर उन्होंने उन किसानो को जिनको कुछ पता भी नही था या कुछ सोचा भी नही था की उनके साथ अन्याय हुआ है या न्याय वो तो इस बात से बेखबर थे उन भोले भले किसानो और मजदूरों के कान भरना शुरू कर दिए !
अब ये सब करने के बाद ममता बेनर्जी ने अपने पैरो पर कुल्हाडी मार ली है क्योंकि सिंगुर की घटना के बाद और भी उद्योगपति वहां आने से कतरायेंगे और अगर मान लो ममता बेनर्जी कभी मुख्यमंत्री बनी तो वो किस मुँह से किस उद्योगपति को कहेंगी की आए और हमारे राज्य में निवेश करे !
वैसे सिंगुर की घटना कोई पुराणी नही है इससे पहले समय समय पर ऐसी घटनाये सामने आती रही है आजादी के बाद ५० के दशक में मार्क्सवादी नेताओ ने गरीब किसानो और मजदूरों के साथ मिलकर हिंसात्मक आन्दोलन किया था तो इस बात में कम्युनिस्ट भी कोई दूध के धुले नही है इसीलिए शायद पुराने गलतियों से सबक लेकर बुद्धदेव भट्टाचार्य ने टाटा के समर्थन में एडी चोटी का जोर लगा दिया !
यह एक अपने की मानसिकता ही है की यहाँ हर चीज से फायेदा उठाने के लिए लोग लालायित रहते है ! अरे जो बात देश के राजस्व और तरक्की में योगदान देगी कम से कम उससे तो मत रोको !
पर शायद ममता इस बात से फूली नही समां रही होंगी की उन्होंने अपनी जिद के आगे टाटा जैसी कंपनी को भी घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया तो वह शायद इस ग़लतफ़हमी में है क्यूंकि ये पब्लिक है सब जानती है !
और अगर वो इस ग़लतफ़हमी में जी रही है की उन्होंने सिंगुर के लोगो को उनका हक़ दिला दिया है तो वो ये समझ ले की न ही उन्होंने अपना भला किया है , और न ही सिंगुर वालों का क्योंकि ये नेता लोग अपना काम करके उन्हें वैसे ही छोड़ जायेंगे जैसे की वो पहले ही थे , इसीलिए अपने बारे में ख़ुद सिंगुर को आत्ममंथन करना पड़ेगा !

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इस भीड़ मे आजकल कौन सुनता है !

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