Monday, November 10, 2008

भारत की तरक्की के मायने !

विन्दर्भ में किसान ने आत्महत्या की ! यह ख़बर आए दिन या यूँ कहे कि कई सालों से अखबारों के पन्नो पर स्याही का खर्चा बढ़ा रही है ! आखिरकार विन्दर्भ में किसानों को ही सबसे ज्यादा आत्महत्या क्यो करनी पड़ती है ! इसका कारण ...... अरे नही भाई अब इसका कारण भी उत्तर भारतीय नही है समझे , शायद वहाँ पर कम बारिश हो या कर्ज के बोझ तले इतना दब जाता है कि उसे म्रत्यु का वरन करने में भी संकोच नही होता !

खैर इसके इतर हम आजकल देख रहे होंगे कि भारत ने चंद्रयान सफलता पूर्वक भेजा जिसमे भारत को विज्ञानं कि द्रष्टि से बहुत फायदा होगा ! इस अन्तरिक्ष यान को बनने में सरकार का 450 करोड़ रुपए से ज्यादा का पैसा लगा है !
और भारत इसे सफलतापूर्वक भेजकर मन ही मन इतरा रहा है !

इसके इतर एक और चीज जो कि शायद सब चिल्ला रहे है कि इतिहास बन गया रे , जी हाँ आप सही समझे मैं भारत-अमेरिका परमाणु संधि की बात कर रहा हूँ ! जिससे हमारी सरकार ने अपने लिए इज्जत का सवाल बनाने लिया था की अब चाहे कुछ भी हो जाए ये डील होकर रहेंगी ! और सभी पार्टियों को अपना दुश्मन ! ये करार तक़रीबन 2 लाख करोड़ रुपए का हुआ जो की एक बहुत बड़ी रकम है ! ये करार भी ऐसे देश के लिए हुआ जिसमे परमाणु उर्जा का अभी फिलहाल कोई भविष्य नही है !

आर्थिकमंदी से सारे देश प्रभावित है फिर चाहे वो दूसरी दुनिया से हो या तीसरी दुनिया से ! ऐसे में हमारे देश में उसका असर सबसे पहले एयरलाइन्स पर दिखने लगा है ऐसे में सरकार से उसके लिए 4500 करोड़ रुपए का बेलआउट पैकेज उसको घाटे से उबारने के लिए मांग की जा रही है !

सरकार कहती है हमारे यहाँ अनाज की कमी नही है और इस बार हम पहले से ज्यादा दूसरे देशो को अनाज निर्यात कर पाएंगे !
क्या ऐसे देश में अनाज निर्यात जरुरी है ? जबकि देश में हजारों लाखों लोग भूखे सोते है !
क्या ऐसे देश में चंद्रयान सफल होने के कोई मायने है ? जबकि देश के किसान आत्महत्या कर रहे है !
हमारे देश में सन् 2010 में कॉमनवेल्थ खेल होने वाले है और उसमे पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा है ! परन्तु उत्तरप्रदेश के दलित गाँव में चूहों को मारकर उन्हें पकाकर खाते है क्यो ? क्योकि उन लोगो के पास अनाज के लिए पैसे नही है !

राजठाकरे भले ही यूपी बिहार के लोगो को मरकर भगाते हो पर क्या कभी उन्होंने विन्दर्भ में जाकर वहां के किसानो के लिए कुछ काम किया ?
आम जनता को कुछ लोगो(उन्हें क्या मतलब की मुकेश अम्बानी ने कितना पैसा बढ़ा लिया है ) की तरक्की से कोई मतलब नही है उन्हें मतलब है तो बस अपनी सुबह शाम की रोटी से ! मिशन चंद्रयान तभी सही मामलो में सार्थक होगा !

2 comments:

Unknown said...

this is absolutely true and completely marvellous

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

अईसा है भईया.....मत नू करिए रूलायिया.......देखिये जो बहाने की चीज़ है....वो बहाई जाती है....जो खाने की चीज़ है...वो खायी जाती है....आप चूहे खाने वाले को पकडिये ना की धन की कमी की वजह से चूहा खाते हैं....कि चूहा खाने में अच्छा होता है....इसलिए...काहे ला आप झूठो-मूठो सरकारवा को बदनाम करते हैं....ई देश का गरीब लोगन में इहे ऐ गो कमी है....की साला लोग गरीब तो अपने है...और बदनाम सरकार को करता है...साला जाहिल कहीं का.....

इस भीड़ मे आजकल कौन सुनता है !

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