
भारतीय होने के नाते अपने देश की हालत को देखकर समझ नही आ रहा है की ये वो ही देश है जहाँ दूध की नदिया बहा करती थी और आज खून की नदिया बहती है ! मुंबई में जो कुछ भी हुआ बहुत शर्मनाक है ! क्या हम अपने घर के अन्दर ऐसे ही मरते रहेंगे ?, क्या भारत , आतंकियों के लिए खाला का घर बन गया है कि जब चाहे कोई आए और हमें ठोक बजाकर चला जाये ?, क्या हमारे देश का लोकतंत्र बेकार है ? , क्या हमारे खुफिया तंत्र बेकार है ? या फिर हमारी अब जिन्दगी इतनी सस्ती हो गई है कि अब ज्यादा फर्क नही पड़ता क्योकि १२० करोड़ लोगो में से अगर २०० या ३०० मर जाये तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ेगा यार !
एक पत्रकार उन पुलिस वालों से बात कर रहा था जिन्होंने पुलिस की गाड़ी चुराने वाले आतंकियों को मार गिराया उनका कहना था की आतंकी के पास Ak47 थी जबकि हमने अपनी सर्विस रिवोल्वर से मार गिराया ! बेशक ये उन जवानों के लिए गर्व की बात है लेकिन हमारे लिए और सरकार के लिए शर्म से डूब मरने वाली बात है की Ak47 का सामना रिवोल्वर से करना पड़ रहा है ! मैंने तो उन सिपाहीयो के पास ऐसी बंदूको को देखा जो लम्बी लम्बी पुराने ज़माने की ३० या ४० साल पहले देखी जाती थी क्या हमारे जवानों की अब कोई कीमत रह भी गई है ?
कोई जवान या कोई पुलिस वाला शहीद नही होना चाहता लेकिन जब सरकार का आदेश आता है तो जाना पड़ता है नौकरी निभाने ! उन्हें भी याद आते है अपने बच्चे अपने माँ बाप अपनी बीवी अपना परिवार , पर क्या करे अगर नही जायेंगे तो सब बुझदिल कहेंगे ! आखिर कब तक हम ऐसे अनमोल जवान खोते रहेंगे !
आपको पता है की NSG कमांडो में कोई दक्षिण से था तो कोई उत्तर से कोई मराठी था तो कोई बिहारी, पर सबने मिलकर मुंबई कोई आजाद कराया और मिसाल दी की अगर एक रहेंगे तब की देश को बचाया जा सकता है न की तोड़कर ! अब कहाँ गया वो राज ठाकरे और कहाँ गए उसके गुण्डे , उसे किसी ने बताया नही की कुछ उत्तरभारतीय और बिहारी NSG कमांडो का रूप धरकर ताज होटल में घुस गए है उसकी मुंबई को बचा रहे है जल्दी से उन्हें मारने के लिए अपने गुण्डे भेजो कहाँ गया वो बाल ठाकरे का शेर उध्दव जो कुछ समय पहले दक्षिण भारतीयों को निशाना बनाते थे उसको बताओ की दक्षिण भारतीय जवान भी जवाबी कार्यवाही करते हुए शहीद हुआ ! और तो और मनसे के गुण्डे मुंबई में आये आतंकियों से क्यों नही लड़ने गए उन्हें तो बहुत शौक है न उन लोगो को मारने का...... जो लोग उनकी मुंबई में आते है ! जरा दे देती सरकार इनके साथ में गन और भेज देती जरा ताज में फिर इन्हे पता चलता !
क्यों हम लोग हर बार कीडे मकोडों की तरह कुछ लोगो के मरने के बाद थोड़ा दुखी होकर फिर से एक जैसे हो जाते है ? , वो इसीलिए क्योंकि यह अभी तक हमारे साथ नही हुआ है !
क्यों हर घटना के बाद सरकार जांच कमीशन बैठा देती है ?, शिवराज पाटिल के इस्तीफा देने से एक बात बिल्कुल साफ हो गई की सरकार हमें सुरक्षा देने समर्थ नही है इसीलिए इस चीज से मुहँ मोड़ ले वो ज्यादा अच्छा है !
अब बारी है जनता के सोचने की , कि अब जात-पात धर्म से ऊपर उठना पड़ेगा ! पूरे भारत में एक अलख जगाना पड़ेगा ! अब हम किसी सरकार के नीचे नही , बल्कि सरकार को अपने नीचे लाना पड़ेगा !
अब हमें अपने बॉर्डर्स सिक्योर करने पड़ेगे ! देश में शरणार्थी के आने पर रोक लगनी होगी ! पुलिस में भारी बदलाव करने की जरुरत है उन्हें अपडेट करने की भी जरुरत है तथा भारी मात्रा में पुलिस फोर्स की कमी से हमारा देश जूझ रहा है सयुक्त राष्ट्र के मानक के अनुसार २३१ लोगो पर एक पुलिस वाला होना जरुरी है परन्तु हमारे देश में यह आंकडा 731 पर एक पुलिस वाला है इसीलिए बहुत बड़ी तादाद में हमे फोर्स भरना पड़ेगा सिर्फ़ भरना ही नही सही ट्रेनिंग की जरुरत भी है !
खुफिया तंत्र को और ज्यादा सुद्रण बनाना पड़ेगा, एक संघीय शाखा का निर्माण अति आवश्यक है तथा हमारी जांच एजेंसिया को सरकार के प्रति जवाबदेह भी न होना पड़े और उनको स्वतंत्र काम करने की छूट दी जाए (कई देशो में ऐसी छूट दे रखी है !) और कड़े से कड़े कानून बनाये जाए और जाँच पूरी होने पर हाल की साल सजा भी दी जाए ! राज्यों के आपसी समन्वय और उनके बीच में सूचनाओ का आदान- प्रदान भी बहुत जरुरी है !
साथ ही साथ हमारे देश के नागरिक भी सजग रहे हमको भी एक पुलिस वाले जैसा काम करना पड़ेगा बस वर्दी ही तो नही होगी ! ये देश हमारा है तो हमें ही इसकी रखवाली करना पड़ेगी न यार और कौन करेंगा ?
अपने घर में आए चोर के साथ क्या करते है ... हम लोग ?
1 comment:
बहुत अच्छा लिखा है..
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