Monday, November 3, 2008

आज कल मेरी उससे नही बनती ..... .

किसी शहर में एकदम अकाल पड़ा हुआ था सब जगह त्राहि -त्राहि मची हुई थी , सारी फसल सुख गई थी और पानी तो बिल्कुल नही , सभी लोग दहशत में आ गए ! की अब क्या होगा तभी बुजुर्गो ने सुझाया की हमे पहाड़ी पर रहने वाले दरवेश के पास जाना चाहिए... वो बहुत पवित्र आत्मा है !

सभी लोग इकठ्ठे होकर उनके पास गए और उनसे मिन्नतें की... कि आप खुदा से दरख्वास्त करे कि वो पानी बरसाये ! उस समय दरवेश अपने कपड़े धोकर सुखने के लिए डाल ही रहे थे ! दरवेश ने कहा कि मुझे माफ़ करो भाई मैं तुम्हरी कोई भी मदद नही कर सकता क्योकि मेरी आजकल खुदा से बनती नही ! इतना कहना ही था कि बाहर जोरदार बारिश होने लगी ! लोग बाहर देखते हुए आश्चर्य करने लगे इससे पहले वो दरवेश का शुक्रिया अदा कर पाते दरवेश तुनक कर बोले देखा मैंने कहा था न कि मेरी आजकल उससे बनती नही अब वो ये भी नही चाहता कि मैं अपने कपड़े सुखा सकूँ !

और भी
तू इतनी जल्दी डर गया

एक बहुत बड़े सूफी ने खुदा में जो ऐसा मन रमाया... कि फिर कई दिनों तक न टूटा ..फिर एक दिन जब वो उठे तो सीधे अपनी घर कि तरफ़ लौटे ! तो देखते क्या है कि घर खाने के लाले पड़े हुए है एक अनाज का दाना नही है घर में अपने लोगो कि इस लाचारी की हालत को देखकर वो बहुत दुखी हुए और सीधे मस्जिद की ओर रुख किया !

फिर वहां जाकर उन्होंने हाथ में कागज और कलम को लेकर दोनों हाथ असमान में उठाये और जोर से कहा कि तू इतना पत्थर दिल है तू मेरे लोगो को खाना नही दे सकता ...क्या तू दिवालिया हो गया है ह्ह्ह ...और अगर ऐसा है तो ये ले कागज और कलम और दस्तखत कर इस पर और हो जा अपना जिम्मेदारियों से आजाद जा !

वहां बहुत भीड़ जमा हो गई और उसी भीड़ में से एक ने कहा लो भाई तूम ये अनाज का बोरा और जाकर अपने घर के लोगो को खाना खिलाओ ! ये देखकर सूफी फिर ऊपर की ओर देखकर बोला देखा कितनी जल्दी डर गया तू एक आवाज में ही अनाज का बोरा भेज दिया !

सौजन्य :रसरंग ( दैनिक भास्कर)

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इस भीड़ मे आजकल कौन सुनता है !

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