Monday, November 17, 2008

हाँ यहीं में अच्छे से कर सकता हूँ !

लक्ष्य फ़िल्म में हृतिक रोशन का चरित्र लक्ष्यविहीन लड़के का बताया गया जिसे दुनिया जहाँ की कोई फिक्र नही है ! वो बस खाता पीता है सोता है और दोस्तों के साथ मौजमस्ती और हँसी मजाक में दिन काट रहा होता है और कोई उससे उसके करियर के बारे में पूछता है तो सभी को दुश्मन समझता है ! अपने दोस्तों से वो ख़ुद पूंछता है कि ये माँ बाप हमेशा एक ही बात क्यो पूंछते है कि क्या करने वाले हो क्या करोंगे ये इन लोगो के पास कोई टॉपिक नही है क्या ?

दरअसल यह समस्या आजकल ज्यादातर युवाओं की है !वो इसी उपह्पोह में फंसे रहते है कि ऐसा कौन सा काम है जो मैं सबसे अच्छे से कर सकता हूँ ! कम से कम स्नातक के शुरूआती सालों में तो युवा सोचते ही है कि मैं आगे जाकर क्या करूंगा ! पर ये अलग है कुछ लोग अपना लक्ष्य बनाकर चलते है और उन्हें क्या करना है उन्हें पता होता है ! लेकिन जिनको नही पता होता है वो हमेशा तनाव में जीते है !

इसके कारण हमारे आसपास के प्राणी लोग है जो बार-बार भविष्य की योजना को लेकर बात करते है और तो और सुझाव भी चिपका देते है ! माँ-बाप के कान भी भरते है कि अरे इसे ये कोर्स कराओ बहुत चल रहा है या फिर अरे इसमे कोई स्कोप नही है ग़लत फंस गए ! इन लोगो को ख़ुद कुछ पता नही होता दूसरों से सुनकर चले आते है !

लक्ष्य का निर्धारण कैसे होता है ये कैसा पता चलेगा ! शायद उसका पता तब चलेगा जब ख़ुद आपके दिल से आवाज आयेगी , हाँ यही वो काम है जो मैं अच्छे से कर सकता हूँ ! और इसके कई उदाहरण हमने देखे भी है जैसे कि कई लोगो को हमने बड़ी-बड़ी नौकरिया छोड़कर दूसरा काम करते देखा है ! कोई लेखक बन गया तो कोई पत्रकार या फिर किसी आई.पी.एस अधिकारी से कहते सुना हो कि मैं पत्रकार बनना चाहता था या किसी अभिनेत्री को यह कहते सुना है कि वो डॉक्टर बनना चाहती थी ! भेजा फ्राय फेम विनय पाठक आज सिनेमा में बहुत शोहरत कमा रहे है ! अमेरिका से एम्.बी.ए कर रहे विनय एकदिन नाटक देखने चले गए जहाँ उन्हें उसका इतना चस्का लगा कि एम् बी ए छोड़कर थियेटर के साथ जुड़ गए ! अब बताइए चाहते तो वो एम् बी ए करके लाखो रुपए कमा सकते थे पर उनके दिल ने कहा कि हाँ विनय यहीं काम है जो तू अच्छे से कर सकता है !

और महज लाखो करोड़ो पैसे मिलना ही इस बात का प्रमाण नही कि आप बहुत सुखी है और अपने माँ-बाप का सपना पूरा कर दिया , पर आपकी निजी खुशी भी बहुत जरुरी है आपको अच्छा लग रहा है या नही ! चाहे फिर ऑफिस में साइन करने का काम ही क्यो न हो या फिर लक्ष्य फ़िल्म में नायिका के पिता द्वारा ह्रितिक को कहना कि फिर तुम चाहे घाँस काटने वाले बनो... पर अच्छा तब कोई मतलब है !

2 comments:

Anonymous said...

acha likhte ho bhai :)

Anonymous said...

achi thought hai carry on :)

इस भीड़ मे आजकल कौन सुनता है !

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